क्या पाकिस्तानी, अफगान, बांग्लादेशी मुसलमानों को सीएए से इतर भारतीय नागरिकता मिल सकती है?

क्या पाकिस्तानी, अफगान, बांग्लादेशी मुसलमानों को सीएए से इतर भारतीय नागरिकता मिल सकती है?

नई दिल्ली
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ राज्यों द्वारा संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करने के प्रस्ताव को 'असंवैधानिक' करार दिया और कहा कि यह सभी की जवाबदेही है कि संसद में पारित कानून को लागू करना सुनिश्चित करें। संशोधित नागरिकता कानून का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के साथ सीएए को मिलाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कानून का विरोध करने वालों से अपील की कि ऐसे आरोप नहीं लगाएं जिससे लोगों के बीच अशांति फैले। वित्त मंत्री ने इन आरोपों से भी इनकार किया कि नरेन्द्र मोदी सरकार नागरिकता प्रदान करने में चुनिंदा रुख अपना रही है और कहा कि पाकिस्तान के गायक अदनान सामी और पड़ोसी देशों के 3,900 अन्य लोगों को पिछले छह वर्षों में नागरिकता दी गई है।
क्या नागरिकता देने में धर्म देख रही है मोदी सरकार?
भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमान जिन्हें लगता है कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है या फिर भारत में उनका कोई आर्थिक हित है तो उन्हें भी भारतीय नागरिकता दी जा सकती है और दी जाती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को बताया कि मोदी सरकार ने 2016 से 2018 के बीच 391 अफगान मुसलमानों को भारत की नागरिकता दी थी। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि पिछले छह सालों में 2,838 पाकिस्तानी शरणार्थियों, 914 अफगान शरणार्थियों और 172 बांग्लादेशी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जा चुकी है जिनमें मुसलमान भी शामिल हैं।
मोदी सरकार और नागरिकता का मानवीय आधार
सीतारमण ने पाकिस्तानी गायक अदनान सामी का नाम लेकर कहा कि वह बॉलिवुड के लिए 2001 से गाने गा रहे थे और उन्हें 2016 में मानवीय आधार पर नागरिकता दी गई क्योंकि उनका पाकिस्तानी पासपोर्ट एक्सपायर कर गया था और पाकिस्तान की सरकार ने उसे रीन्यू करने से इनकार कर दिया था। गृह मंत्रालय के मुताबिक, 2014 में भारत और बांग्लादेश की सरकारों के बीच ऐतिहासिक सीमा समझौता होने के बाद जो 14,864 बांग्लादेशी भारत के नागरिक बन गए, उनमें कुछ मुसलमान भी थे।
CAA में रोहिंग्या हिंदुओं को भी जगह नहीं
गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष स्पष्टीकरण दिया था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के सिवा किसी अन्य देश में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होने वाले हिंदू भारतीय नागरिकता की मांग करते हैं तो नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 के तहत उनकी मांग पूरी नहीं की जा सकती है। हां, वह नागरिकता पाने की सामान्य प्रक्रिया के तहत आवेदन कर सकते हैं। इसी वजह से म्यामांर से भागकर बांग्लादेश में रह रहे 400 रोहिंग्या हिंदुओं को सीएए में जगह नहीं मिली है। उधर, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि सीएए जरूरी नहीं था। हालांकि, उन्होंने तुरंत यह भी कहा कि सीएए और एनआरसी भारत के आंतरिक मामले हैं।

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